"और शरीर की नश्वरता जीत जाती है आखिरकार अमरता की हमारी दबी-छिपी शाश्वत आकांक्षा से" "और शरीर की नश्वरता जीत जाती है आखिरकार अमरता की हमारी दबी-छिपी शाश्वत आकांक्...
कभी कभी बाप का शासन दिखाती हूं। कभी कभी बाप का शासन दिखाती हूं।
माँ की आशाओं की कमाई, बहन की राखी में बंधी कलाई। माँ की आशाओं की कमाई, बहन की राखी में बंधी कलाई।
संबोधित अपनी प्रेमिका को अनगिनत नामों से, संबोधित अपनी प्रेमिका को अनगिनत नामों से,
ये कैसा अनछुआ सा एहसास है, ये कैसा उमड़ते हुए जज़्बात है, शब्द नहीं अब कर सके बयान.. हाल-ए-दि... ये कैसा अनछुआ सा एहसास है, ये कैसा उमड़ते हुए जज़्बात है, शब्द नहीं अब कर सक...
मैं उन्हें सिर्फ टुकुर टुकुर ताकता रह जाता हूँ। मैं उन्हें सिर्फ टुकुर टुकुर ताकता रह जाता हूँ।